
ये परिवार को जोडता है रिश्तो मे मिठास लाता है l योग जीवन मे सामन्जस्य बेठाता है l ये परिवार के सदस्यो को निरोगी तो बनाता ही है उनके विचार ,कर्म, भोजन को भी श्रेष्ठ करता है l ये परिवार के सदस्यो के बीच एक बेहतरीन समय देता है जिसको सभी आनंद से बिताते है l हमारे समाज की परिकल्पना परिवार की इकाई से है l जब परिवार सुंदर बनता है तो समाज सुंदर बनता है और जब समाज सुंदर बनता है तो हमारा राष्ट्र भी सुखी, स्वस्थ और समर्थ बनता है l योग परिवार को एक लय मे जोडता है l अगर परिवार मे सामन्जस्य है तो समाज और राष्ट्र मे भी सामन्जस्य बनता है l योग के यम और नियमो पर चलकर हम एक श्रेष्ठ जीवन जीने का प्रयत्न कर सकते है l योग हमे दुख से सुख ,निराशा से आशा ,और अन्धकार से प्रकाश की और ले जाता है l गीता मे कहा गया है “समत्वं योग उचयते ” जिसका अर्थ है सम भाव मे जीना ही योग है l परिवार मे जब कोई दुख आता है तो योग हमे समभाव मे रहना सिखाता है जिससे दुख हमे परेशान नही कर पाता l योग हमे अपरिग्रह यानी अनावश्यक वस्तुओ के संग्रह करने पर भी रोकता है जो की हमारे परिवार और राष्ट्र के लिये अती आवश्यक है l अनावश्यक वस्तुओ के संग्रह से हम अपने देश की प्राकर्तिक सम्पदा को ही नुकसान नही पहुंचाते बल्की अपने परिवार का आर्थिक नुकसान भी करते है l योग इसमे हमे मदद करता है l योग हमे इश्वर प्राप्ति की तरफ उन्मुख करता है l पतन्जली के योग सूत्र मे कहा गया है “योगस्चित व्रति निरोधम ” योग चित की व्रतियो का निरोध करता है l योग भारतवर्ष के मनिषीयो द्वारा दिया गया स्रष्टी को एक अनुपम उपहार है जो संपुर्णi मानव जाति को एक सुंदर ,स्वस्थ और सुखी जीवन जीना सिखा देता है l